Thursday, March 10, 2011

और हम लेखक भये

कवि जी कवि वर भये
सबदन के वर भये
रस छंद  जोड़ी लिए
लरिकन  के आफत  भये

अब हम भी पाठको को
सताने वाली श्रेणी में शामिल हुए
पाठक से परिवर्तन हुआ
और हम लेखक  भये

4 comments:

  1. हम सताए जाएंगें या आप हमारी टिप्पणीयों से यह समय पर छोड दीजीए, बस जुट जाईए। :-)
    वैसे बडा मज़ा आया मासूम जी के ब्ळॉग पर, कभी मेरे ब्लॉग पर सीधे भी पधारें

    ReplyDelete
  2. एक पर एक लेख दये
    सबके सर ऊपर से गये
    एक पैसा दाम लये
    ऐसे हम लेखक्क भये

    हा हा बुरा ना मानो होली है।

    ReplyDelete
  3. पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ पर आपके ब्लॉग पर आकर प्रसंता हुई जितनी तारीफ़ की जाय कम है ।
    हमारी शुभकामनाये आपके साथ है
    आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनायें.......

    ReplyDelete
  4. कृपया जापान के प्रकृतिक आपदा का उपहास उडाने वालों के विरुद्ध मेरा साथ दे इस पोस्ट पर http://ahsaskiparten-sameexa.blogspot.com/2011/03/blog-post.html

    ReplyDelete