Friday, May 27, 2011

आड़ में लिया जाने वाला मजा गाढा मजा होता है

मौज मजे के कई रूप रंग होते है जो जन साधारण के आनंद का विषय होते है. किन्तु आज पाठको के वास्ते गाढ़ा मजा पेश कर रहा हूँ मुलाहिजा फरमाइयेगा(न फर्मायेगे तो भी हमार का कर लेगे ही ही ही). ये गाढ़ा मजा तब उत्पन्न होता है जब कोई काम आप आड़ में करते हो. मसलन अभी लखनऊ में कुछ बड़े ब्लागरों ने एक शैक्षिक समारोह की आड़ में सम्मान वाला परोगराम करा कर गाढे मजे का आनंद प्राप्त किया था. सुरेश कलमाड़ी गेम की आड़ में गाढ़ा मजा काटे. किन्तु अब सारे कामनवेल्थ गेम से सम्बंधित भ्रस्टाचारी कलमाडी की आड़ में गाढा मजा ले रहे है. बलागिंग तो खैर आभासी आड़ है ही भी बलागर एंड बलागिरायें इसी आभासी आड़ में गाढे मजे को प्राप्त हो रहे है.रात तो इसीलिये बनी ही है की उसकी आड़ में दुनिया के सारे चोर उचक्के कुकर्मी लुच्चे गाढ़े मजे की और उन्मुख हो. जनता हित की आड़ में (कु)नेता लोग कैसे गाढा मजा ले रहे है यह तो सबको विदित ही है.
तो साधो भाइयो  मजे मौज की कथा अब आऊट डेटेड हो गयी है अब जमाना गाढे मजे का है.

3 comments: