Tuesday, May 3, 2011

दिल्ली में ब्लागिंग पर एक कार्यक्रम क्या हुआ लगा तमाम नालायक लोग पो पो करने लगे

दिल्ली में ब्लागिंग पर एक कार्यक्रम क्या हुआ  लगा  तमाम नालायक लोग पो पो करने लगे  हिंदी
चिट्ठाकारिता करना ठग्गू के लड्डू जैसा हो गया खाओ तो पछताओ न खाओ तो पछताओ. एक महाशय को गम हो गया बच्चों जैसे मचलते हुए हिंदी ब्लागिंग से कूच कर गए (वैसे संभावनाओं के द्वार खोल कर गए है जैसे किसी कोटेवाली का अड्डा हो  की  कभी भी आओ और मन करे तो  फूट लो ). अनवर जमाल को मजा आ गया  धडाधड  पोस्ट फेच्कुरिया कर (ऐसी पोस्टें दो चार लाइन में ही दम तोड़ जाती है) हाफ हाफ कर अपने को बड़ा ब्लागर मनवाने पर तुला है यहाँ तक कि वह टट्टी कैसे करता है इसको भी ब्लागिंग से जोड़ कर बता रहा
है.
 दूसरी और यह रवीन्द्र प्रभात और अविनाश वाचस्पति को बढ़ाई देता है  हद हो गयी दोगलेपन की.
खत्री अलबेला छिला हुआ केला कि तरह या यूं कहे नंगलाल कि तरह पुंगी बजाने में रत है. अरे इन खब्तियों को कौन बताये की ये शुरू के छोटे छोटे कार्यक्रम आगे वृहद रूप धारण करेगी. कार्यक्रम में खामिया होगी पर उसमे सकारात्मकता देखने से ही सकारात्मक ब्लागिंग हो सकती है.
गिरते है मैदाने जंग में शाह सवार ही
वो तिल्फ़ क्या गिरेगे जो घुटनों पे चलते है.
                                                                         कार्य्रकम के आयोजको को बधाई
                                                                                  सूर्यभान चौधरी

9 comments:

  1. असल में मित्र जो सम्मान के भूखे रहते हैं वे ही सम्मान का लड्डू न मिलने पर ज्यादा पौ पौ करते हैं ...हा हा

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  2. bat to sahi hai aapki magr samjhaye koun ....

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  3. अनवर जमाल को मजा आ गया धडाधड पोस्ट फेच्कुरिया कर (ऐसी पोस्टें दो चार लाइन में ही दम तोड़ जाती है) हाफ हाफ कर अपने को बड़ा ब्लागर मनवाने पर तुला है यहाँ तक कि वह टट्टी कैसे करता है इसको भी ब्लागिंग से जोड़ कर बता रहा
    है.ha ha ha
    ha ha ha

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  4. बड़ी खरी बात कर रहे हो भई !!

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  5. उस नालायक पुन्य प्रसून के बारे में भी कुछ लिखते भई |

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  6. रतन जी ऊ हमे लागल कि पाप कंटक है ये लोग ब्लागिंग के लिए नही बल्कि अपने निजी हितो के खातिर कम करते है ऐसे अहंकारी का भाग जाना उत्तम रहा

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