दिल्ली में ब्लागिंग पर एक कार्यक्रम क्या हुआ लगा तमाम नालायक लोग पो पो करने लगे हिंदी
चिट्ठाकारिता करना ठग्गू के लड्डू जैसा हो गया खाओ तो पछताओ न खाओ तो पछताओ. एक महाशय को गम हो गया बच्चों जैसे मचलते हुए हिंदी ब्लागिंग से कूच कर गए (वैसे संभावनाओं के द्वार खोल कर गए है जैसे किसी कोटेवाली का अड्डा हो की कभी भी आओ और मन करे तो फूट लो ). अनवर जमाल को मजा आ गया धडाधड पोस्ट फेच्कुरिया कर (ऐसी पोस्टें दो चार लाइन में ही दम तोड़ जाती है) हाफ हाफ कर अपने को बड़ा ब्लागर मनवाने पर तुला है यहाँ तक कि वह टट्टी कैसे करता है इसको भी ब्लागिंग से जोड़ कर बता रहा
है.
दूसरी और यह रवीन्द्र प्रभात और अविनाश वाचस्पति को बढ़ाई देता है हद हो गयी दोगलेपन की.
खत्री अलबेला छिला हुआ केला कि तरह या यूं कहे नंगलाल कि तरह पुंगी बजाने में रत है. अरे इन खब्तियों को कौन बताये की ये शुरू के छोटे छोटे कार्यक्रम आगे वृहद रूप धारण करेगी. कार्यक्रम में खामिया होगी पर उसमे सकारात्मकता देखने से ही सकारात्मक ब्लागिंग हो सकती है.
गिरते है मैदाने जंग में शाह सवार ही
वो तिल्फ़ क्या गिरेगे जो घुटनों पे चलते है.
कार्य्रकम के आयोजको को बधाई
सूर्यभान चौधरी
असल में मित्र जो सम्मान के भूखे रहते हैं वे ही सम्मान का लड्डू न मिलने पर ज्यादा पौ पौ करते हैं ...हा हा
ReplyDeletebat to sahi hai aapki magr samjhaye koun ....
ReplyDeleteअनवर जमाल को मजा आ गया धडाधड पोस्ट फेच्कुरिया कर (ऐसी पोस्टें दो चार लाइन में ही दम तोड़ जाती है) हाफ हाफ कर अपने को बड़ा ब्लागर मनवाने पर तुला है यहाँ तक कि वह टट्टी कैसे करता है इसको भी ब्लागिंग से जोड़ कर बता रहा
ReplyDeleteहै.ha ha ha
ha ha ha
बड़ी खरी बात कर रहे हो भई !!
ReplyDeleteउस नालायक पुन्य प्रसून के बारे में भी कुछ लिखते भई |
ReplyDeleteरतन जी ऊ हमे लागल कि पाप कंटक है ये लोग ब्लागिंग के लिए नही बल्कि अपने निजी हितो के खातिर कम करते है ऐसे अहंकारी का भाग जाना उत्तम रहा
ReplyDelete....
ReplyDeletebahut badhiya likha hai aapne..
ReplyDeletebade gusse main ho ji aap to
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