ब्लागिंग से सम्बंधित एक सर्वे में यह निष्कर्ष सम्मने आया है ....
१. कार्यस्थल पर व्यक्ति के पास उपलब्ध नेट का अधिकतम इस्तेमाल ब्लागिंग में किया जाता है फलतः व्यक्ति का सारा ध्यान कार्य की और न होकर ब्लाग और उस पर आयी टिप्पणियों की तरफ होता है.
२. २४ घंटे में व्यक्ति १८ घंटे ब्लाग और उससे जुड़े मुद्दों के बारे में सोचता रहता है
३. ब्लागिंग के चलते गुटबाजी होने से व्यक्ति के मन में असुरक्षा की भावना बढ़ती जा रही है.
४. व्यक्ति के आँखों पर लगे चश्मे का नंबर बढ़ता जा रहा है.
५. ब्लागिंग में डूबे रहने की वजह से घरेलू और सामाजिक विवाद बढ़ रहे है.
६. ईट ब्लागिंग ड्रिंक ब्लागिंग की वजह से एक नया रोग सामने आ रहा है जिसे वैज्ञानिको ने "ब्लोमेयोपिया" का नाम दिया है.
७.ब्लोमेयोपिया के वायरस फैलाने और लोगो को रोगग्रस्त बनाने का कार्य सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है इसमें उन ब्लागरो को लगाया गया है जो अमेरिका और अरब देशो से चंदा प्राप्त करते है.
अंत में सनद रहे की ब्लागिंग परमाणु ऊर्जा की तरह है इसका सदुपयोग मानवता को विकास के चरम तक पंहुचा सकता है लेकिन यदि इसका दुरुपयोग करके ब्लोमेयोपिया को फैलाया गया तो यह आभासी के साथ वास्तविक दुनिया को नष्ट कर डालेगा.
१. कार्यस्थल पर व्यक्ति के पास उपलब्ध नेट का अधिकतम इस्तेमाल ब्लागिंग में किया जाता है फलतः व्यक्ति का सारा ध्यान कार्य की और न होकर ब्लाग और उस पर आयी टिप्पणियों की तरफ होता है.
२. २४ घंटे में व्यक्ति १८ घंटे ब्लाग और उससे जुड़े मुद्दों के बारे में सोचता रहता है
३. ब्लागिंग के चलते गुटबाजी होने से व्यक्ति के मन में असुरक्षा की भावना बढ़ती जा रही है.
४. व्यक्ति के आँखों पर लगे चश्मे का नंबर बढ़ता जा रहा है.
५. ब्लागिंग में डूबे रहने की वजह से घरेलू और सामाजिक विवाद बढ़ रहे है.
६. ईट ब्लागिंग ड्रिंक ब्लागिंग की वजह से एक नया रोग सामने आ रहा है जिसे वैज्ञानिको ने "ब्लोमेयोपिया" का नाम दिया है.
७.ब्लोमेयोपिया के वायरस फैलाने और लोगो को रोगग्रस्त बनाने का कार्य सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है इसमें उन ब्लागरो को लगाया गया है जो अमेरिका और अरब देशो से चंदा प्राप्त करते है.
अंत में सनद रहे की ब्लागिंग परमाणु ऊर्जा की तरह है इसका सदुपयोग मानवता को विकास के चरम तक पंहुचा सकता है लेकिन यदि इसका दुरुपयोग करके ब्लोमेयोपिया को फैलाया गया तो यह आभासी के साथ वास्तविक दुनिया को नष्ट कर डालेगा.
हर चीज के अच्छे और बुरे दोनों पहलू मौजूद हैं।
ReplyDeleteजिसे वैज्ञानिको ने "ब्लोमेयोपिया" का नाम दिया है.......
ReplyDeleteकौन हैं ई वैज्ञानिक ..इन सबके ब्लॉग खुलवाईए तो ..और फ़िर एक महीने के बाद ..दोबारा से सर्वेक्षण कराइए ..देखिए केतना गज्जबे रिजल्ट निकालेंगे ई लोग
ये सर्वे कहाँ करवाया है जनाब....हमारे पास फार्म ही नहीं आया. :)
ReplyDeleteये सर्वे उसी कंपनी ने कराया है जो बिना किसानो से मिले कुल उपज बता देती बिना मतदाता से मिले एक्सिट पोल कराती है. बिना जनता से मिले उनके राय जानने का दावा करती है.
ReplyDeleteसमीर जी फार्म भेजने की जरूरत ही नही है यह तो अवलोकन पर आधारित सर्वे है
दूसरों को अपने से ऊंचा पाकर उन्हें कैसा लगता है जिनके ‘गुरू‘ गोहत्यारे विदेशयों की चरण सेवा करने वाले अपने शिष्यों से वसूली करते हुए सर्वत्र घूम रहे हैं ?
ReplyDeleteअपना तनाव घटाने के लिए इन गुरूओं के ‘सफ़ेद चंदाग्रस्त धन‘ पर ध्यान देना एक उत्तम उपाय है मिश्रा जी ।
यहां से कमेंट मिटाओगे तो कहीं और से यह पूरी पोस्ट बनकर चमकेगा।
लिहाज़ा .....
;;;;;;;;;;;!!&$%
ReplyDeleteदिनेश राय जी की बातों से पुरी तरह से सहमत।
ReplyDelete@anwer jamal
ReplyDeletetum nafarat aur moorkhta me andhe ho chuke ho
Are Baap Re.
ReplyDelete............
तीन भूत और चार चुड़ैलें।!
14 सप्ताह का हो गया ब्लॉग समीक्षा कॉलम।
हम तो सचमुच में डर गए हैं
ReplyDeleteडर गहरा रहा है
पहले अंग्रेजी ब्लॉगिंग से
लग रहा था
अब हिन्दी से भी
लग रहा है।
बचाओ ...................... ओ ओ ओ ...........