Saturday, May 14, 2011

जबरिया लिखौ या खबरिया लिखौ कौनो बात नहीं .पर जबरिया पढाओ जबरिया कराओ जबरिया हँसाओ. जे कौनो बात है?

वर्तमान युग जबरदस्ती का युग है. पहले के समय में मान मनुहार से लोग काम चला लेते थे. मतलब की मान मनौव्वल से हर काम ठीक ठाक तरीके से निपट जाता था.अब मान तो रहा नही मनौव्वल भी धीरे से  सरक  लिया. सो भाई लोगो ने जबरदस्ती का फंडा बना डाला. हमारे सुकुल जी ने तो ऐलान ही कर दिया था की हम तो जबरिया लिखबै. जबरिया लिखौ या खबरिया लिखौ कौनो बात नहीं .पर जबरिया पढाओ जबरिया कराओ जबरिया हँसाओ. जे कौनो बात है? लाफ्टर चैनल  वाले जबरिया हसाने के चक्कर में जार जार रुला रहे है. हिया बलाग जगत में एक्कै पोस्ट ससुरी दस जगह पडी मिलती है.
अब पढे के पडी. बलाग पे डाला, फेस्बुकियाया, आर्कुटई  चिरकुटई भी कर दी. फिरू मन नही माना. 
माने कईसे चंचल जो घोषित हुआ है. प्रवृत्ति से विवश. 
भला हो हमारीवाणी का चिरकुट टाईप के लोगन से मुक्ति दिलाई दीस.   काल ब्लागर बाबा कोहा गए की लिख लिख के बेडा गर्क किये हमार और पोस्ट दिख रही फेसबुक पर. ई बड़ा जुलुम हवे. अरे स्वनाम धन्य महाप्रभुओं 
एक पोस्ट ही लिखो पर ठीक ठाक लिखो. ऐसा लिखो की लोग ढूंढें की पोस्ट कहा लिखी है,तो कोई बात है. पता चला की एक कंकड़ उठा के मारा ससुर जेहर गिरा वही पोस्ट बिराजमान है.

                                                                      ... सूर्यभान चौधरी 
                         

4 comments:

  1. सूर्य ने दीपक को कहा है कि
    रोशनी करो, अपनी महत्‍ता सिद्ध करो, न कि यूं ही चटक चिरैया बनो।

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  2. मजेदार पोस्ट और उतना ही बढ़िया कमेंट..
    चटक चिरैया..हा..हा..

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  3. ये देखिए आपने एक ही विशिष्ट, दमदार पोस्ट लिखी और ये हम ढूंढ कर पहुँच गए.:)

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  4. वाओ वैरी नाइस पोस्ट। इसकी हैडिंग रखो चटक चिरैया।
    वैसे होना चाहिये पटक पिरैया क्योंकि यह जबरन पटककर पेर (परेशान करने) देने वालों के बारे में लिखी गई है। हा हा।

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